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गुरुवार, 5 मार्च 2020

खाद्ध्य या पेय पदार्थो में मिश्रण संबधी कानून

जिस प्रकार समय में बदलाव के साथ साथ मानव के शरीर में लगातार सुधार न होने के साथ उनकी स्वास्थ्य के प्रति उनकी उदासीनता प्रमुख मानी जाती है और जिस प्रकार भोजन में मिलाबट के रूप से लोगो को लगातार उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है 
जिस प्रकार भारतीय दण्ड  संहिता में भी इस प्रकार भोजन में अपमिश्रण से लगातार मानव के स्वास्थ को रोकथाम के लिए प्रावधान किया गया है उससे जिस प्रकार के अपराध के रूप में भी बताया गया है
भारतीय दण्ड संहिता 1973 के धारा 273 में यह बताती है कि अपायकर खाघ या पेय का विक्रय  जो कोई किसी ऐसी वस्तु को जो अपबायकर कर दी गयी हो, या हो गयी हो, या खाने-पीने  के लिए अनुपयुक्त दशा में हों, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रकते हुए कि वह घाध या पेय के रूप में आपायकर है, खाध या ेय के  रूप में बेचेगा या बेचने की प्रस्थापना करेगा, या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा, वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि छः मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनो  से दण्डित किया जाएगा


इस प्रकार से धारा 273 के अनुसार अपमिश्रित अपायकर खाघ एवं पेय पदार्थों का विक्रय दण्डनीय है। 

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