किशोरावस्था में आहार
बाल्यावस्था समाप्त कर बालक कब किशोरवस्था में प्रवेश कर जाता है, इसका तिनक भी एसहसास नही हो पाता है। इसका पता केवल तब लगता है जब बालक में इस अवस्था के अन्दर होने वाले महत्वपूर्ण बदलाव देखने होने लगते है
किशोरावस्था में 12 वर्ष से 18 वर्ष की आयु के बालक बालिकाएँ आते हैं। हालांकि बालिकाओं में किशोरावस्था का आभास 12 साल की आयु से पहले शुरु हो जाता है और 14 साल की आयु तक पूर्ण आभास हो जाता है जबकि बालकों में यह महत्वपूर्ण परिवर्तन 16 से 18 वर्ष की आयु तक होते रहते है।
शैशवास्था के बाद किशोरावस्था ही ऐसी अवस्था है जिसमें बालक का शारीरिक मानसिक सामाजिक क्रियात्मक संवेगात्मक विकास सामान्य से बहुुत अधिक होता है
शारीरिक विकास के अन्तर्गत अस्थियों एवं माँसपेशियों का बढ़ना बालक की लम्बाई में त्वरित बृद्धि आदि।
सामाजिक विकास किशोरावस्था मे बालक सामाजिक रीतिरिवाजों को समझना शुरु कर देता है और उसी के अनुसार वह समाज में रहतकर अपना विकास करता है।
किशोरावस्था के लिए पोषक त्त्वों की आवश्यकता
1 ऊर्जा इस अवस्था में ऊर्जा की मात्रा किशोर एवं किशोरियों की क्रियाशीलता लम्बाई एवं शारीरिक भार पर निर्भर करती है।
किशोरों की अपेक्षा किशोरियों को कम ऊर्जा की अवश्यकता होती है क्योकि किशोरियों का शारीरिक भार तथा लम्बाई किशोरो की तुलना में कम होती है
किशोरो को ऊर्जा की आवश्यकता 50 कैलोरी प्रति किलोग्राम
किशोरियों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता 35 कैलोरी प्रति किलोग्राम
प्रोटीन किशोरावस्था में शारीरिक विकास एवं मानसिक विकास बहुत तेजी से होता है इसलिए अस्थियो और मासपेशियों के लिए ऊर्जा की पूर्ति के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है
किशोरो को प्रति दिन 70-78 ग्राम प्रोटीन
किशोरियों के लिए 65-73 ग्राम
खनिज लवण किशोरियो के लिए इस अवस्था में कैल्शियम की बहुत अधिक आवश्यकता होती है क्योकि यह वह अवस्था होती हो जब अस्थियाँ तीव्र गति से बृद्धि करती है
लौह लवण किशोरियों को प्रतिदिन 28 से 30 मिली ग्राम
किशोरो को 41 से 50 मिली ग्राम
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